चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन, क्यूँ रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन, खुशबु की तरह गुजरो मेरी दिल की गली से, फूलों की तरह मुझपे बिखर जाओ किसी दिन।
ये ज़ुल्फ़ अगर खुलके बिखर जाये तो अच्छा, इस रात की तकदीर संवर जाए तो अच्छा, जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है, बाकी भी इसी तरह गुजर जाए तो अच्छा।
मैने कब तुझसे ज़माने की खुशी माँगी है, एक हल्की-सी मेरे लब पे हँसी माँगी है, सामने तुझको बिठाकर तेरा दीदार करूँ, जी में आता हैं जी भर के तुझे प्यार करूँ।
सुर्ख गुलाब सी तुम हो, जिन्दगी के बहाव सी तुम हो, हर कोई पढ़ने को बेकरार, पढ़ने वाली किताब सी तुम हो।
लबों से छू लूँ जिस्म तेरा, साँसों में साँस जगा जाऊँ, तू कहे अगर इक बार मुझे, मैं खुद ही तुझमें समा जाऊँ।
जन्म-जन्म जो साथ निभाए, तुम ऐसा बंधन बन जाओ, मैं बन जाऊं प्यार भरा दिल, तुम दिल की धड़कन बन जाओ।
दिल में है जो बात होंठों पे आने दे, मुझे जज्बातों की लहरों में खो जाने दे, आदी हो चुका हूँ मैं तेरी निगाहों का, अपनी निगाहों के समंदर में डूब जाने दे।
रख लूं नजर में चेहरा तेरा दिन रात इसी पे मरता रहूं.. जब तक ये सांसे चलती रहें, मैं तुझसे मोहब्बत करता रहूं…
फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम, प्यार का छलकता जाम हो तुम, सीने में छुपाये फिरते हैं तुम्हें, मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम।
तेज बारिश में कभी सर्द हवाओं में रहा, एक तेरा ज़िक्र था जो मेरी सदाओं में रहा, कितने लोगों से मेरे गहरे रिश्ते थे मगर, तेरा चेहरा ही सिर्फ मेरी दुआओं में रहा।