कल एक झलक ज़िंदगी को देखा, वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी, फिर ढूँढा उसे इधर उधर वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी, एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार, वो सहला के मुझे सुला रही थी हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी, मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने, वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले तुझे जीना सिखा रही थी।
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जिंदगी पर कविता
कभी अपनी हंसी पर आता है गुस्सा। कभी सारे जहां की हंसाने का दिल करता है।। कभी छुपा लेते है गम की दिल के किसी कोने में। कभी किसी को सब कुछ सुनाने का दिल करता है।। कभी रोते नही लाख दुःख आने पर भी। और कभी यूँ ही आंसू बहाने को दिल करता है। कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद घूमना,लेकिन कभी किसी की बाहीं में सिमट जाने को दिल करता है।। कभी कभी सोचते है नया हो कुछ जिंदगी में। और कभी बस ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है।।
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Hindi Poems on Life
जो छूट गया उसका क्या मलाल करें, जो हासिल है,चल उस से ही सवाल करें !! बहुत दूर तक जाते है, याँदो के क़ाफ़िले, फिर क्यों पुरानी याँदो मे सुबह से शाम करें । माना इक कमी सी है,जिंदगी थमीं सी हैं, पर क्यों दिल की धड़कनों को दर-किनार करें!! मिल ही जाएगा जीने का कोई नया बहाना, आ ज़रा इत्मीनान से किसी ख़ास का इंतज़ार करें !!
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मिल ही जायेगा जीने का बहाना कविता
मंजिल मिले ना मिले ये तो मुकदर की बात है! हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात है… जिन्दगी जख्मो से भरी है, वक्त को मरहम बनाना सीख लो, हारना तो है एक दिन मौत से, *फिलहाल जिन्दगी जीना सीख लो!!
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जिंदगी जीना सीख लो कविता
जब तक चलेगी जिंदगी की सांसे, कहीं प्यार कहीं टकराव मिलेगा। कहीं बनेंगे संबंध अंतर्मन से तो, कहीं आत्मीयता का अभाव मिलेगा कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा तो, कहीं नाराजगियों का बहाव मिलेगा कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो, कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा। कहीं बनेंगे पराए रिश्तें भी अपने तो कहीं अपनों से ही खिंचाव मिलेगा। कहीं होगी खुशामदें चेहरे पर तो, कहीं पीठ पे बुराई का घाव मिलेगा। तू चलाचल राही अपने कर्मपथ पे, जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा। रख स्वभाव में शुद्धता का ‘स्पर्श’ तू, अवश्य जिंदगी का पड़ाव मिलेगा
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ह्रदय स्पर्श करने वाली कविता…..
बेशक तेरी जिंदगी में आज बदलाव दिख रहा हैं। पर तेरी बातों में आज भी एक घाव दिख रहा हैं… लाख दावे कर रहें हो तुम उसे भुला देने के पर तेरी आँखों में उसके लिए लगाव दिख रहा हैं.. सच जानती है दुनिया फिर भी छुपा रहे हो , जाने किसका ये तुम पर दबाव दिख रहा हैं… तुम कहते हो की खुश हो बगैर उसके जिंदगी में फिर ये चेहरे पर तुम्हारे कैसा तनाव दिख रहा हैं..
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जिंदगी के बदलाव पर कविता
अजीब सी कशमकश है जिंदगी की आज क्या है और कल क्या हो जाएगी! एक पल में बदल जाती है जिंदगी यहां जो है राहें वो कल कहां नजर आयेंगी! धुंधला धुंधला सा है शमा आज यहां जो लम्हा है संग वो भी गुजर जायेगा! पर थोड़ी उम्मीद तो अभी बाकी है। कि ये जीवन मेरा भी संभल जाएगा! कभी कोई तो होगा मेरा भी जीवन में जो यहां मेरा सिर्फ मेरा कहलाएगा! सहारा बनेगा मेरा वो इस जीवन में मेरी जिंदगी में भी वो लम्हा आयेगा!
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‘ऐ जिन्दगी इतना क्यों रुलाए जा रही है। फिर भी क्या आजमाएं जा रही है!! ‘चल तो रहे हैं तुम्हारी ही शर्तों पर फिर भी क्या समझाए जा रही है!! ‘तेरी ही क़लम की लिखावट है, मेरी सांसों पर फिर भी क्यों सताए जा रही है!! ‘मैं हार जाऊं तुझ से इसलिए, तूं हर रोज़ अदालत बैठाए जा रही है!! ‘ऐ जिंदगी है तो तूं मेरी ही फिर भी क्यों रुलाए जा रही है!!
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जिंदगी रुलाए जा रही है कविता
ज़िन्दगी सीधे साधे चलना ठीक नही उबड़ खाबड़ पड़ाव भी जरूरी है, तैरते तैरते बाजू थक जाएंगे एक पल के लिए नाव भी जरूरी है, बदलाव भी जरूरी ये घाव भी जरूरी है, इतनी धूप अच्छी नेही थोड़ी छांव भी जरूरी है..! हद-ए-शहर से निकली तो, गांव-गांव चली.. कुछ यादें मेरे संग, पांव-पांव चली..! सफर जो धूप का किया तो, तजुर्बा हुआ.. वो ज़िन्दगी ही क्या जो, छांव-छांव चली..!!
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जिंदगी पर कविता
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