दुःख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग

- जावेद अख़्तर

दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं ज़ख्म कैसे भी हो कुछ रोज़ में भर जाते हैं

- जावेद अख़्तर

खो गयी है मंज़िलें मिट गए है सारे रास्ते सिर्फ़ गर्दिशें ही गर्दिशें अब हैं मेरे वास्ते

- जावेद अख़्तर

जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल रस्तों का सफर अच्छा नहीं लगता

- जावेद अख़्तर

एक ये दिन जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का एक वो दिन जब एक जरा सी बात पे नदियां बहती थी

- जावेद अख़्तर

रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी जिंदा हूँ

- जावेद अख़्तर

अब अपना कोई दोस्त कोई यार नही है हैं जिसकी तरफ वो भी तरफदार नही है

- जावेद अख़्तर

हर ख़ुशी में कोई कमी सी है हँसती आँखों में भी नमी सी है दिन भी चुप चाप सर झुकाये था रात की नब्ज़ भी थमी सी है

- जावेद अख़्तर

कुछ बातों के मतलब हैं और कुछ मतलब की बातें जो ये फर्क समझ लेगा वो दीवाना तो होगा दिल की बातें नहीं हैं तो दिलचस्प ही कुछ बातें हों जिन्दा रहना है तो दिल को बहलाना तो होगा

- जावेद अख़्तर

जब कोई आईना देखो इक अजनबी देखो कहाँ पे ले आई है तुमको ये जिंदगी देखो

- जावेद अख़्तर