Mirza Ghalib Shayari

Mirza Ghalib Shayari by Funkylife.in

हजारों ख़्वाहिश ऐसी की हर ख़्वाहिश पर दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

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इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।।

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उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।

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रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

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दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।।

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इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के

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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।

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तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता।।

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हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़्याल अच्छा है।।

Mirza Ghalib Shayari

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मंज़िल मिलेगी भटक कर ही सही गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं।