वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे  जितनी मुझे सजा मिली।

मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा जिन्हे दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा।

Bewafa Shayari

मै नही जानता मुझसे खफा कौन है, मै ये जानता हूँ वफ़ा कौन है, वो चली तो गई पर पता ये करना है की जिंदगी और उसमें बेवफा कौन है !

उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है, जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है, दिल टूटकर बिखरता है इस कदर, जैसे कोई काँच का खिलौना चूर-चूर होता है !

हर धड़कन में एक राज होता है, बात को बताने का एक अंदाज होता है, जब तक ठोकर न लगे बेवफाई ही, हर किसी को अपने प्यार पर नाज होता है।

वो मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफरत भी तेरी थी,, वो अपनाने और ठुकराने की अदा भी तेरी थी, मै अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगता... वो शहर भी तेरा था वो अदालत भी तेरी थी।

उनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी है, नाम लब पर है और जान बाकी है, क्या हुआ अगर देख कर मुँह फेर लेते हैं, तसल्ली है की शक्ल की पहचान अभी बाकी है।

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नही अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नही अभी...

तुझसे प्यार करने का गिला आज भी है, तनहा रहने का सिलसिला आज भी है।

इतने ज़ख्म खाए हुए हैं, अब इश्क़ भी होता नही, डर लगता है इस ज़माने में, कहीं सब बेवफा तो नही.!!