Kumar Vishwas Shayari: आज हम लेकर आएं हैं ख़ास आपके लिए डॉ. कुमार विश्वास जी की कुछ बेहद ही चुनिंदा शायरी जो आपको ज़रूर पसंद आएँगी। तो अभी पढ़ना शुरू कीजिये और इनका आनंद लीजिये साथ सी साथ अपने प्रियजनों के साथ भी शेयर कीजिये।

Kumar Vishwas Shayari

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझाता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे ज़रूरी है, समझता हूँ।

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हूँ नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं..

जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं,
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों में आ रहा हूँ मैं !

उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,
वह मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे।
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।

Nida Fazli Poetry >>