Mirza Ghalib Shayari: दोस्तों आज हम लेकर आये हैं मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरियों का सबसे शानदार संग्रह सिर्फ़ आपके लिए। जिसमें आपको देखने को मिलेंगी दिल को छू जाने वाली एक से बढ़कर एक मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी उर्दू, मिर्जा गालिब के मशहूर शेर, मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल, जिन्हें आप बहुत ही आसानी से Copy\paste और इमेजेज को डाउनलोड भी कर सकते हैं। आप इन सभी मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी को Instagram, Facebook or WhatsApp पर भी शेयर कर सकते हैं।
In this post, we’re sharing 20+ of the best Mirza Ghalib shayari in Hindi. Get ready to enjoy some powerful, soul-stirring lines that beautifully capture the magic of Ghalib’s words.
Mirza Ghalib Shayari in Hindi

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए

इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता

यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो…

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का,
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले ।।

तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है…

तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई

गुनाह करके कहाँ जाओगे ग़ालिब
ये ज़मी ये आसमां सब उसी का है

कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल को ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

करने गए थे उनसे तग़ाफ़ुल का हम गिला,
की एक ही निगाह कि हम ख़ाक हो गए।

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
मिर्ज़ा ग़ालिब, उर्दू और फ़ारसी शायरी की दुनिया का एक ऐसा नाम है, जिसे भूल पाना नामुमकिन है। उनकी शायरी न केवल उनके ज़माने में मशहूर थी, बल्कि आज भी लोगों के दिलों को छू जाती है। हिंदी में ग़ालिब की शायरी का अनुवाद उनके भावों को आम जनता तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। उनकी रचनाएँ प्रेम, दर्द, ज़िंदगी की जटिलताओं और आत्मचिंतन से भरपूर होती हैं। “हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले…” जैसी मशहूर पंक्तियाँ आज भी लोग शौक़ से दोहराते हैं। ग़ालिब की शायरी का सबसे खास पहलू उसकी गहराई और सादगी है — वह शब्दों से जादू करते थे, और हर शेर में एक नई सोच छुपी होती थी। हिंदी भाषियों के बीच ग़ालिब की लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि उनकी शायरी किसी एक भाषा या दौर की मोहताज नहीं। ग़ालिब की कविताएँ आज भी किताबों, सोशल मीडिया और मंचों पर ज़िंदा हैं, और हर पीढ़ी में नए सिरे से पसंद की जाती हैं। उनकी शायरी केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि ज़िंदगी के अनुभवों का दर्पण है।
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